Wednesday, November 21, 2007

मेरा रेत का घर ?

वो मेरा रेत का घर जाने क्यों बिखर गया ?
पानी के धारों से वो कैसे जल गया ?
बहुत खूबसूरत थे मिटटी के गहने, वो पत्थर के मोती,
वो
सीपों के सिक्के, वो झूठे खिलोने,
अँधेरे में चमकते जुगनू, जैसे तारे सलोने
क्यों कोई सच के उजाले? ज़िंदगी में भर गया

वो मेरा रेत का घर जाने क्यों बिखर गया ?



करूं मैं क्या बता दे आज आकर, कोई तो मुझको
मेरी किस्मत का लेखा और मेरा कल, पल में एक बदल गया

वो मेरा रेत का घर जाने क्यों बिखर गया?

नहीं दुश्मन रहा कोई, न कोई दोस्त दिखता है
आकर देखो कोई तनहा भरी महफिल में कर गया

वो मेरा रेत का घर जाने क्यों बिखर गया ?

मैं जब भी याद् करता हूँ, हसीं बीते ज़माने को
मेरे ख़्वाबों के उस बिखरे हुए, आशियाने को
मुझे तुम याद आते हो वहीं झूले पर बैठे से नदीकेपास उस तनहा बडे पत्थर पर लेटे से
कभी तुम मुस्कुराते हो यादों के झरोखे से
कभी मुझको सताते हो नमी ला अपने चेहरे पे
अभी तक हैं तेरे आंसू मेरी पलकों पे ठहरे से


अभी भी गूंजा करती है तेरी आहट अँधेरे में
अभी तक देख अंकित है, तेरा चुम्बन मेरे मस्तक
अभी तक देख सुनती हैं मुझे तेरी गरमसांसें
तेरी महक से रोशन है मेरा घर बिन चरागों के

Sunday, November 4, 2007

What Would The Life Be Without You ... ?

What would be the AIR,
if it does not bring me the smell of your Hair
To face Gravity would be too much,
if the aching body does not have sense of your touch.


World wouldn't so beautiful,
If the lips of mine lack the taste of yours
You are the one who completes me,
Brings me life,luck & articulates me.


Remember each time you doubt me,
I have 'n' questions about me.
Am I not worthy your trust?
Or you think i don't mean my words?

I can't take eyes off you if you are around.
The happiest news in the world is, your being sound.
Your voice is the music, most beautiful yet made
Spent with you are the moments, I wish would never fade.

................................................................................... shekhar

मेरी यह कहानी ....

मेरी यह कहानी तुम क्या करोगे सुन कर
बिखरे हुए पड़े इस शीशे के टुकड़े चुन कर

शायद नहीं मिलेंगे मेरे निशान वहाँ तक
जो सोच कर चला था जाना था जिस जहाँ तक

याद भी मुझको नहीं अब तो वो धुंधली डगर
आती थी मुझको लेकर जो तेरे यहाँ तक

एक राह के सिरे से एक राह नयी जुड़कर
लाती गयी मुझे इस मोड़ तक यहाँ तक

वो दरख्त अब तक शायद वहीं खडा है
जिस पर कभी लिखा था नाम मैंने तेरा
पर मार मौसमों की वो कब तलक सहेगा

पर मार मौसमों की वो कब तलक सहेगा
जब रूह मर चुकी है तो जिस्म क्या चलेगा.

Promise of Love





From, for her....

They say .....






You may put them up, someday I will knock them all down.


Just let me know you are across .......

Thursday, November 1, 2007

Please Come ...




... Without you, I have no where to go.


Come take my hand, come walk with me.
Without you I can not Be...
{That was then now I have learned to live ... without you, and If I have not I will some day. Thanks for teaching me not to trust any one.}