Saturday, October 20, 2007

" ? "

अब भी याद मुझे है तेरा पहली बार बुलाना मुज्को

साथ बिताया मीठा हर पल, कड़वाहट वो तन्हाई की

अपना वो पहला मीठा झगडा, पहली बार वो रोना तेरा
और फिर लेना मुझसे वादा, छोड़ नहीं तुम मुझको जाना

करते रहना घंटों बातें या संग संग चुप बैठे रहना
वो तेरी पलकों का झुकना, या तारों को देखा करना

वो अपना हँसना बे मतलब या फिर रोना झूठे गम में
हिस्सा आधा आधा करना हो छाहे ज्यादा, या कम में

वो तेरा बतलाना मुझको की में ही हूँ प्यार तुम्हारा
और खुदाई में है सबसे प्यारा रिश्ता हमारा

अब भी याद मुझे है, अब भी याद मुझे है


याद मगर है फिर क्यों आता बिना बाए जाना तेरा
मान नहीं क्यों दिल ये जाता झूठा था हर वादा तेरा

दर्द है कहता चीख चीख कर बेहतर होगा तुझे भुलाना,
पर जाने क्यों, भूल नहीं में पता
क्यों भूल नहीं में जाता


क्यों?
अब भी याद मुझे है, क्यों अब भी याद मुझे है
पर अब भी यद् मुझे है

No comments: