Sunday, October 21, 2007

बस आप हैं

कहकहों मैं साथ देने वाले तो हैं सैकड़ों,
पर जिसे आँसू दिखा सकता हूँ वो
बस आप हैं

दौड़ता हूँ उम्र भर से मैं बिना मंजिल मगर,
जहाँ रुकना चाहा वो शज़र,
बस आप हैं

धुप से झुलसे हुए दागों भरे एक जिस्म पर,
जिसने था चंदन लगाया, आप हैं

दीख भी पड़ती नहीं जिनसे अब धुंधली डगर,
बुझती सी उन आंखों के अब,
नूर-ए-नज़र बस आप हैं

दर्द से रिस्ते हुए हर एक ज़ख्म कि दवा,
जोड कर हाथों को मांगी गयी हर एक दुआ, बस आप हैं

खूबसूरत तो बहुत है कायनात सब मगर,
रूह को दे जो सुकून वो तसवुर, आप हैं

थक के चूर हो चुके हर कदम को खींच कर, आगे बढाती जो हवा
ख्वाब हर धड़कन का और हर सांस की है जो रजा
वो आप हैं , बस आप हैं

वो आप हैं ..........
............................................शेखर

1 comment:

falcon said...

Shayar to bante hai sabhi...
Par itna romantic likhne wale
Bas aap hai

Kisi aur ki kavita main kehta nahin par
Ladki ko impress karne ke liye line jiski chepoon main
Woh sirf aap hain