जब लड़ती रही दुनिया, मैं नशे में चूर था
सब बोले देखो पागल को, आडा तिरछा चलता है
और मैं उन पर हँसता था यह तेरे नाम का सुरूर था
अब मैं जैसे उड़ता हूँ, कैसे यह सर मगरूर है
यह मेरा अंहकार नहीं, मेरे हाथ में थमे
तेरे हाथ का कसूर है
............ तुम्हारा " मैं "
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